मौन के सुख – लाभ में सच से बहुत भागे से लोग
अन्दर के विलाप से चुपचाप औ’ अभागे से लोग
एक झूठ तुमको जब लील जायेगा अभी
क्या बचेगा ?
क्या रहेगा ?
बोलों ना फ़िर तुम अभी
सांझ को आएगी न ठंडी हवा की बहार
प्रेम तुमको दे ना पायेगा फ़िर कभी अपनी पुकार
गुम हो जाएँगी शोखियाँ और मीठी छुवन भी
क्या बचेगा ?
क्या रहेगा ?
बोलों ना फ़िर तुम अभी
अन्दर के विलाप से चुपचाप औ’ अभागे से लोग
एक झूठ तुमको जब लील जायेगा अभी
क्या बचेगा ?
क्या रहेगा ?
बोलों ना फ़िर तुम अभी
सांझ को आएगी न ठंडी हवा की बहार
प्रेम तुमको दे ना पायेगा फ़िर कभी अपनी पुकार
गुम हो जाएँगी शोखियाँ और मीठी छुवन भी
क्या बचेगा ?
क्या रहेगा ?
बोलों ना फ़िर तुम अभी
एक बोली प्यार की फ़िर न छाएगी कभी
कूक कोयल की जंगल से न आएगी कभी
रात को खिड़की फिर न गाएगी कभी
तितलियाँ फूलों के पास न जाएँगी कभी
फ़र्क मिट जायेगा जब क्या सच और झूठ ही
क्या बचेगा ?
क्या रहेगा ?
बोलों ना फ़िर तुम अभी !
बहुत ही खूबसूरत कवितायें पढ़ने को मिली आभार
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