2.12.18

एक दृश्य

उसके हाथ में नीले रंग का फूल है 
मेरी रंगों की समझ इतनी ख़राब नहीं होती 
तो शायद मै सही - सही बता सकता
कि यह फूल हल्के हरे रंग का नीला है 
या गहरे नीले रंग का नीला  
या फ़िर आधी रात जैसे नीले रंग का नीला
और फूल का नाम भी नामालूम 

वह  ठीक सामने बैठी है 
हाथ में एक किताब और नीला फूल लिए 
शायद वह 'Three Kingdom' पढ़ रही होगी 
पर इस समय बिलकुल शांत एक महिला के कंधे पर सिर रखे कुछ सोच रही है 
जितना मै समझ सकता हूँ उस हिसाब से वह महिला उसकी माँ है 
क्यूंकि एक माँ के पास ही कोई इतनी सुकून से रह या सोच सकता है
और कही नहीं
किसी रिश्ते में नहीं

मैं कोई दावा नहीं करूँगा कि वह सबसे सुन्दर है
पर इतनी शांत और सुलझी कि जैसे ....
छोड़ो जाने दो
मैं कोई रूपांतरण नहीं करूँगा
जाने क्यूँ मुझे ऐसा लगता है
किसी की भी
किसी से भी
कभी भी तुलना नहीं की जानी चाहिए

कही - लिखी - पढ़ी और समझी गयी बात है कि
लोग अपीयरेंस  पर मर - मिटते है
आप समझ भी ऐसा कुछ रहे होंगे
यह भी एक गहन समझ की बात है
जो लोग 'अन्दर से सुन्दर' होते है
उनका अपीयरेंस कैसा भी हो

वह सबसे अलहदा लगते है
वह सबसे अलहदा है
और वह नीला फूल भी
पर इस दौर में आप किसी अनजान से
यह नहीं कह सकते है -
तुम सबसे ख़ूबसूरत लग रहे / रही हो
क्यूंकि दुनिया अब इतनी जटिल है
कि वह सामान्य चीजों या बातों को सामान्य नहीं मानती है
मैं उससे कहना चाहता हूँ -
यह नीला फूल बेहद सुन्दर है
और ...

तो क्या यह 'Love at first sight' है ?
नहीं
बिल्कुल नहीं
वह व्यक्ति जिसने प्रेम की दुर्गति देखी है
जिसने प्रेम - विवाह की दुर्गति देखी है
जिसने प्रेम में पड़े लोगों की दुर्गति देखी है
जिसने सौन्दर्य कभी देखा ही नहीं है
जिसने प्रेम कभी पाया ही नहीं
जो प्रेम के वजूद को ही चुनौती देता रहा हो
उसे 'Love at first sight' ?
और तो और
जिसने Charles Baudelaire को पढ़ा हो कि
Love - 
"There is an invincible taste for prostitution in the heart of man, from which comes his horror of solitude. He wants to be 'two'. The man of genius wants to be 'one'.... It is this horror of solitude, the need to lose oneself in the external flesh, that man nobly calls 'the need to love'."

तो मैं 'प्रेम' का नाम तो दे ही नहीं सकता  

और अगर मान भी ले प्रेम है
तो प्रेम पा जाने के बाद ? 
प्रेम का अंजाम

अब जैसे सवालों का कोई सैलाब मन में आ गया है कि
जैसे मेरा एक खुद का सवाल -
सदी और सभ्यता ने स्त्रियों को क्या दिया ?
ब्याह कर लायी गयी स्त्रियाँ
या फिर प्रेम - विवाह में बदचलन कहलायी गयी बेटियों को क्या मिला ?
[नोट - व्याकरण के मित्रों सनद रहे कि मैंने प्रेम विवाह को 'प्रेम - विवाह' लिखा है
जिसके मायने यह है कि - 'प्रेम और विवाह'
विवाह के बाद प्रेम बचता ही कितना है
यह भी सनद रहे ऐसा मैं मानता हूँ
आपका आप पर
एक और बात दो साल बीत जाने प्रेम विवाह या और कोई विवाह सबकी स्थिति सामान हो जाती है ]

अब मुझे
'कुमार अम्बुज' याद आते है -
खाना बनाती स्त्रियाँ -
'आपने उन्हें सुंदर कहा तो उन्होंने खाना बनाया
और डायन कहा तब भी
बच्चे को गर्भ में रखकर उन्होंने खाना बनाया
फिर बच्चे को गोद में लेकर
और कितनी ही बार सिर्फ अपने सब्र से
दुखती कमर में 
चढ़ते बुखार में
बाहर के तूफान में
भीतर की बाढ़ में 
उन्होंने खाना बनाया
आपने उनसे आधी रात में खाना बनवाया
बीस बीस आदमियों का खाना बनवाया
ज्ञात-अज्ञात स्त्रियों का उदाहरण
पेश करते हुए खाना बनवाया
कई बार आँखें दिखाकर
कई बार लात लगाकर
और फिर स्त्रियोचित ठहराकर'


और साथ ही साथ मेरी वह सब महिला मित्र
जो 'eye-teasing' से खीझ कर मुझसे कहती है
एक मर्द औरत में सेक्स अलावा कुछ खोजता ही नहीं है
मैं सहम जाता हूँ
एकदम डरा हुआ
मुझमें अब घुटन सी है

और वह मेरे ठीक सामने बैठी छायाचित्र
किसी देवताओं के युग की कन्या है
अगर मैंने उसका ख्याल भी किया तो वह अपवित्र हो जाएगी
जैसे मानवों ने सारी चीजें कर दी है
मैं अपने 'स्टेशन'  पहले उतर जाता हूँ
वरना दम घुटने से मर जाऊँगा !


Station -
Origin
Middle English (as a noun): via Old French from Latin statio(n-), from stare ‘to stand’. Early use referred generally to ‘position’, especially ‘position in life, status’, and specifically, in ecclesiastical use, to ‘a holy place of pilgrimage (visited as one of a succession’). The verb dates from the late 16th century.


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