पता नहीं मुझे ही लगता है या सच भी है पर दुनिया की कुछ कहावतें बस कहने के लिए कह दी गयी है जैसे - 'कर भला तो हो भला' ! या फिर - 'जिस चीज को तुम शिद्दत से चाहों पूरी दुनिया उसे तुम्हें दिलाने / मिलाने में लग जाती है एंड आल. ! ‘शिद्दत’ को अंग्रेजी में कहते है passion. ! मै थोड़ा और creative liberty लूँ तो इसे किसी चीज को 'desperately' चाहना कहते है ! नोट - भाषाशास्त्री माफ़ करें !
अब हाल यह कि आप अच्छी नौकरी चाहो ‘शिद्दत’ से तो एक statement मिलेगा बार -बार कि – Our HR will get back to you ! किसी आदमी/औरत को चाहो तो उसके नख़रे पेट्रोल/डीजल से जायदा hike मारते है हर तिमाही ! चाहो की परिवार में सुख-शांति रहे तो वहां हर पल महाभारत चलेगा ! आप संजय बने बस आँखों देखा हाल सुनते / देखते रहो ! आप चाहो शिद्दत’ से की professionally या personally कुछ achieve कर ले तो हर पल एक नया ‘chutzpah’ हो जाता है !
तो भाई सवाल यह है कि - ‘शिद्दत’ से चाहने में कहाँ कुछ हो रहा है ? हर तिमाही confidence, GDP की तरह अलग से गिर रहा है ! और दिल बेरोज़गार !
नोट – ‘chutzpah’ शब्द जिनको नहीं पता है उन्हें ‘Haider’ मूवी का epic scene देखना चाहिए ! ... हम है कि हम नहीं ? ... हम है तो कहा है और नहीं है तो कहा गये ? ... ज़नाब हम थे कि हम थे भी नहीं ... बेशर्म , गुस्ताख़ – ‘chutzpah’ !
मुस्तफ़ा ज़ैदी का एक शेर है -
इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ
मिरे घर के रास्ते में कोई कहकशाँ नहीं है !
Okay Bye.
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