30.8.21

illusion

आरम्भ :-

पत्तियां फूल पे बारिश की कहानी बुनती 
रात चुपचाप कोई नज़्म पुरानी सुनती 
आँखों तक फैली कोई चौड़ी हंसी 
प्रेम - शुरुआत किसी ख्वाब के माँनिंद लगी !

सफ़र :- 

बेतरबी में फेंक दी गयी बातें 
अधजगी सी तमाम रातें
एक छुपा नश्तर 
खुरचता रहा रूह 
ताउम्र हरेक सफ़र !

सिफ़र :-

किसी वीराने में पहुंचे सफ़र को काट के जब 
बिखरें - बिखरें से मिले रिश्तें औ' नाते वहाँ 
तमाम उम्र गाया जो गीत झूठा था 
भरे बाजार सबने जिसको मिलके लूटा था 
बचा न साज कोई और कोई राग नहीं 
कोई भी फूल नहीं, हरा कोई बाग़ नहीं 
कोई भी दोस्त नहीं और कोई यार नहीं 
ज़िन्दगी  उलझन है अब इसमें ज़रा सा प्यार नहीं 

शामें धूमिल नींदे बंजर 
रातें गहरी और भयंकर 
आइना देखो - चेहरा पोंछो 
चलो - चलो 
अब आगे चलो !

- मनीष
 

15 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 31 अगस्त 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. हार्दिक आभार आपका !

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  2. वाह!शानदार सृजन !

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  3. अच्छा लिखा है । बहुत बढ़िया ।

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    1. बेहद शुक्रिया अमृता जी !!

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  4. बेहतरीन सृजन । बहुत बधाई ।

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    1. धन्यवाद जिज्ञासा जी !!

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