नदी के मुहाने पर डूबे शहर के लोग
शहरों में डूबी कितनी नदियाँ
शहरों में डूबी कितनी नदियाँ
वर्षों तक जीया जिस भ्रम को
जैसे एक दिलफरेब मुस्कान -
जैसे एक दिलफरेब मुस्कान -
कोई फूल - एक तितली का सिहर जाना
भरोसे में टूटे कितने भ्रम
भ्रम में डूबी कितनी नदियाँ
भ्रम में डूबी कितनी नदियाँ
सुबक - सुबक कर टूटे जंगल
जैसे टूटते है रोते हुए लड़के
जाते रहे 'बैठक' पकवान
धुएं में डूबी रही कितनी औरतें
बेटियों में डूबी कितनी नदियाँ
जाते रहे 'बैठक' पकवान
धुएं में डूबी रही कितनी औरतें
बेटियों में डूबी कितनी नदियाँ
टूटे उजालें अँधेरों की मुखालिफ़त से
जैसे टूटे थे वीणा के तार उसके जाने पर
घर टूटे - बस यूँ ही - बिना वजह
रिश्तों में डूबी कितनी नदियाँ
टूटे शब्द अक्षरों की बगावत में
टूटे राजे- महराजे - टूटी हड़प्पा - मेसोपोटामिया की सभ्यताएं
मर्यादा पुरषोत्तम टूटे / भटके जंगल - जंगल
शबरी - केवट - श्रीराम में डूबी कितनी नदियाँ
टूटे राजे- महराजे - टूटी हड़प्पा - मेसोपोटामिया की सभ्यताएं
मर्यादा पुरषोत्तम टूटे / भटके जंगल - जंगल
शबरी - केवट - श्रीराम में डूबी कितनी नदियाँ
टूटी मुस्काने आँसूओं की खिलाफ़त में
खुरचती रही साँसे - लय में अलग- अलग
बिखरें सपनोँ में डूबी आंखें
आँखों में डूबी कितनी नदियाँ
खुरचती रही साँसे - लय में अलग- अलग
बिखरें सपनोँ में डूबी आंखें
आँखों में डूबी कितनी नदियाँ
सनद रहे ' यह कोई कविता नहीं है ' परन्तु इसे मर्सियाँ की तरह नहीं पढ़े
अंत के ठीक आगे -
अंत के ठीक आगे -
शायद एक नदी है - सूरज की सुनहरी किरणें है - और हरी धूप - जंगल - बयार
नदियों में डूबी कितनी कविताएँ और कविता में डूबी कितनी नदियाँ
नदियों में डूबी कितनी कविताएँ और कविता में डूबी कितनी नदियाँ
© मनीष के.
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