बादशाह का हुक्म है -
शहर में रौशनी का बंदोबस्त हो
तो सारे दीये जला दिए गए है
यहाँ किसी दूसरे की रजामंदी के कोई मायने नहीं है
ज़रा सा विरोध का स्वर उठे तो -
या जिनको नहीं पसंद हो इतना चमकता उजाला
उनकी आँखों को रौशनी से भर दिया जाये
यही शासन है (?)
शहर में रौशनी का बंदोबस्त हो
तो सारे दीये जला दिए गए है
यहाँ किसी दूसरे की रजामंदी के कोई मायने नहीं है
ज़रा सा विरोध का स्वर उठे तो -
या जिनको नहीं पसंद हो इतना चमकता उजाला
उनकी आँखों को रौशनी से भर दिया जाये
यही शासन है (?)
घर में बाहर से एक छोटा सा दरवाजा है -
भीतर कई बड़े - बड़े दरवाजे है
जिनमे बंद/रह रहे
खिड़की से झांकते कई ख़्वाब
कई सारे इंक़लाब
सन्नाटे , चुप्पी और अनगिनत बेईमान चीजों को
वक़्त/ज़रूरत की बात बताया जा रहा है
सारे गीत/राग और अपनेपन को हद दर्जें तक शर्मिंदा किया जा रहा है
यही घर है (?)
एक जंगल है -
जिसकी पत्ती - पत्ती को सूखा देने की 'पंच-वर्षीय' योजना है
एक प्रेत है
जो अपने लम्बे - नुकीले नाखूनों से
बाएं भाग की धड़कती चीज को धीरे - धीरे खा रहा है
एक फूलों का बगीचा है
जिससे रेत झर रही है
एक नदी है -
जिसके मुहाने पर खड़े होकर सांस सूख रही है
बाकी सबकुछ है
अनुपस्थित है वह सारी चीजें जिन्हे होना चाहिए था
यही प्रेम है (?)
© मनीष के.
एक फूलों का बगीचा है
ReplyDeleteजिससे रेत झर रही है
एक नदी है -
जिसके मुहाने पर खड़े होकर सांस सूख रही है
क्या बात है..
सादर
Dhanyawad Ma'am.
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