(एक)
कई गुमनाम प्रेम-पत्रों से
कई अपरिचित प्रेम-कहानियों से
कई गुमनाम लाशों से
कई बेवजह की पथरीली सड़कों से
भर दिया गया तमाम नदियों को
न नदी में पानी है
न आदमी में
(दो)
उन दिनों उसका इश्क़
जैसे लख्त-ए -जिगर था
जैसे किसी ख़रगोश का
उजला, नन्हा, रेशमी बच्चा
अब एक प्रेत है
जो प्रेम की शक्ल में
थोड़ा - थोड़ा कलेजा रोज़मर्रा खाता है !
(तीन)
एक प्रेत है
जिसे प्रेम से नफ़रत है
दूसरा जो दिन-रात
तलाश रहा है प्रेम
एक दुनिया है
जिसमे सारे मानक दुनियावी है
जिसमे प्रेम/प्रेत है : या 'डिस्लेक्सिया' है
एक मैं हूँ या मेरा प्रेत
जो ख़ोज रहा है -
खिड़की से तुम्हारा झांकना
तुम्हारे सफ़ेद फूलों का गजरा
तुम्हारा बनाया गया 'कोलम'
कुछ तमाम बातों का प्रेत है
जो तहस - नहस कर रहा है सबकुछ
मसलन तुम्हारा मुस्कुराना
मेरा मानना !
कई गुमनाम प्रेम-पत्रों से
कई अपरिचित प्रेम-कहानियों से
कई गुमनाम लाशों से
कई बेवजह की पथरीली सड़कों से
भर दिया गया तमाम नदियों को
न नदी में पानी है
न आदमी में
(दो)
उन दिनों उसका इश्क़
जैसे लख्त-ए -जिगर था
जैसे किसी ख़रगोश का
उजला, नन्हा, रेशमी बच्चा
अब एक प्रेत है
जो प्रेम की शक्ल में
थोड़ा - थोड़ा कलेजा रोज़मर्रा खाता है !
(तीन)
एक प्रेत है
जिसे प्रेम से नफ़रत है
दूसरा जो दिन-रात
तलाश रहा है प्रेम
एक दुनिया है
जिसमे सारे मानक दुनियावी है
जिसमे प्रेम/प्रेत है : या 'डिस्लेक्सिया' है
एक मैं हूँ या मेरा प्रेत
जो ख़ोज रहा है -
खिड़की से तुम्हारा झांकना
तुम्हारे सफ़ेद फूलों का गजरा
तुम्हारा बनाया गया 'कोलम'
कुछ तमाम बातों का प्रेत है
जो तहस - नहस कर रहा है सबकुछ
मसलन तुम्हारा मुस्कुराना
मेरा मानना !
- मनीष के.
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