नदियों ने पी लिए सारे किनारे
या किनारे लील गए सारी नदियाँ
शहरों से विस्थापित हुए सारे जंगल
या जंगल हो गए सारे शहर
मौन निगल गया सारी बोलियां
या बोलियों ने बोये बीज सन्नाटों के
गीतों ने साजिश की है रागों - सुरों से
या सारे राग मिलकर गीतों का बेसुरा कर रहे है
या किनारे लील गए सारी नदियाँ
शहरों से विस्थापित हुए सारे जंगल
या जंगल हो गए सारे शहर
मौन निगल गया सारी बोलियां
या बोलियों ने बोये बीज सन्नाटों के
गीतों ने साजिश की है रागों - सुरों से
या सारे राग मिलकर गीतों का बेसुरा कर रहे है
फूल आग बरसा रहा है
पानी जैसे कोई रेत का झरना
माँ को निचोड़ लिया नवजात बच्चों ने
जैसे प्रेम और विरोध -
या यूँ कहें सारे प्रपंच सिर्फ और सिर्फ रत्ती से बात से डरे है कि -
कैसे बची है कही थोड़ी सी नमी और मानवता
वह 'विस्थापित' चीजों का देवता है
जिसे नींद मयस्सर नहीं है
प्रेम -
चन्द्रमा की तरह धीरे - धीरे अमावस्या की तरफ जा रहा है
नदी के मुहाने पर कई लाशें है
कई लाशें है चलती - फिरती - जागती - सोती
एक ख़्वाब है -
जो तपती दुपहरी में देखा नहीं जा रहा है
एक विस्थापित लड़की फूल चुन रही है ईश्वर के लिए
कई शापित प्रेमिकाएं पहरा दे रही है
जिन्हे 'प्रेम में विस्थापित' हो जाने का श्राप था
जिन्हे श्राप था - प्रेमियों का न समझ पाने का
न समझे जाने का - प्रेमियों से
आधा चन्द्रमा मुँह चिढ़ा रहा है
और रातरानी की बेवजह दखलंदाज़ी है
कोई आलोचक - इन सारे उपमानों को बासी बता रहा है
कविता की भूणहत्या की साजिश रची जा रही है
कविता विस्थापित है
कथानक विस्थापित है
लय - लापता है
जैसे सूखा दिए गए थे सारे तुकांत कविताओं से
जैसे नीले पड़ गए थे उसके होंठ प्रेम के चुम्बन के बाद
जैसे खोखले निकले सारे वाद - प्रतिवाद
जैसे भाषाएँ ग़ुम होती गयी
और तुम्हारी हंसी - तुम्हारे धोखे की तीव्रता का पता लगाना मुश्किल होता गया
तुमने/हमने साथ में बोये विश्वास में - अविश्वास के बीज
और फिर हम/हमारा प्रेम खोखलें वादों की तरह बस दिनचर्या का हिस्सा बन गए
प्रेम कोई मंथली इंस्टालमेंट जैसे आने - जाने लगा
सनद रहे -
रूमी ने कहा था - 'वह प्रेम हो नहीं सकता है जिसमे पागलपन / तीव्रता नहीं हो '
नदी के उसपार तुम्हें खोजता / चीख़ता / रोता कोई बंजारा
नदी के इसपर महल के खिड़कियों से झांकती तुम
हमारा कथानक पुराना है
जैसे हमारे प्रेम की भाषा
नदी के पुल पर डकैतों का झुण्ड है
और आँखों का बहुत सारा डर - जिसने प्रेम को भीगों दिया है
वह मुंसिफ क्या रपट में लिखेगा
तुम्हारे लिए प्रेम मेरा ?
और लिखेगा तो किस भाषा में ?
या सबकुछ बस एक बेईमान कविता बन जायेगा
या बस एक दिनचर्या का हिस्सा
हम विस्थापित नींदों में मिलेंगे किसी रात
अपने विस्थापित प्रेम की बेईमान बातों का उल्हना देना
तुम्हे प्रेम की देवी का श्रृंगार मिलेगा
तुम लाओगी क्या - चुने हुए फूल ?
या कोई बेईमान मुंसिफ / कविताई करने वाला
ऐसे ही सारी बातें रफा-दफा कर देगा
तुम लाओगी क्या - चुने हुए फूल ?
या कोई बेईमान मुंसिफ / कविताई करने वाला
ऐसे ही सारी बातें रफा-दफा कर देगा
तुम्हारी मोह्हबत ने मुँह से खून न थूक़वा दिए
जैसे कभी कुछ था ही नहीं / हुआ ही नहीं
शब्द / प्रेम / नमी / कविता / छुवन / आलिंगन
या तुम्हारा मुस्कुराना
सब फ़रेब था
जैसे कभी कुछ था ही नहीं / हुआ ही नहीं
शब्द / प्रेम / नमी / कविता / छुवन / आलिंगन
या तुम्हारा मुस्कुराना
सब फ़रेब था
जैसे फ़रेब है
यह कविता और कथानक
या तुम कही मुस्कुराती हुई
और तुम्हारे हाथ चुने हुए नीले फूल
मै जिन जिन शहरों से गुजरा -
उनमे थोड़ा थोड़ा दफ़न होता गया
सारे शहर भी 'शायद' मुझमें दफ़न हुए थोड़ा थोड़ा
या बस उनका कोई टूटा खंडहर
जिन जिन पेड़ों के नीचे बैठा साये के लिए
मै 'परजीवी' लगा
इसीलिए थकन से पहले सारे साये रफा-दफा कर दिए गए
या शायद सब मरुस्थल था
जिस जिस इश्क़ की दरकार रखी
वह मांसाहारी कबूतर निकले
और कही कही मैंने रख दिए खुद जुआ
बिना बात के - बिना मतलब के - बिना अपनी गलती माने
या यूँ कहूं गुजर गए तमाम शहरों से मुँह चुरा के
किसी फ़रार की तरह -
जिसकी तहरीरें - फ़रारी से ज्यादा है
यह सच है
या शायद सब ढोंग है
कई रंगरेज़ जिनसे मिलना - मुँह से खून थूकने का पर्याय बना
और उनसे मिलना यूँ कि -
खून मेरी आँखों से टपकेगा उम्र भर
या शायद सब महज झूठा पानी है
लिखे लेख व्यर्थ है
रचे काव्य व्यर्थ है
दिए उपमान व्यर्थ है
और आँखों में पड़ा सूखा
बस उलझन - बेवजह रतजगों का नतीजा है
मै विदा लूँ
या बना रहूं
सब व्यर्थ है
यह तहरीरें भी और कविता का अर्थ भी -
अनायास है
व्यर्थ है
अपने विरुद्ध ( लम्बी कविता का अंश )
- मनीष के सिंह
- मनीष के सिंह
*विस्थापित = displaced
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