'वह' आते हैं जैसे कोई ठंडी हवा का झोंका हो! उनका मतलब 'वह' से है, कोई धर्म, जाति, लिंग या रंग-रूप से निर्धारण नहीं है! वह कोई भी हो सकता है!
तो हां, वह आते हैं और आते ही रहते हैं! आप उनको रोक नहीं पाएंगे! इतना हमदर्दी और प्यार लुटा देंगे कि आप कुछ कह नहीं पाएंगे!
और आप बेचारे, मोहब्बत के मारे, गम और खुशी में तरसे हुए लोग, जिन्हें भीख मांगने से भी थोड़ी तवज्जो नहीं मिली हो, वह सातवें आसमान के ऊपर पहुंच जाते हैं।
धीरे-धीरे, जो पहले कभी देखा नहीं था, उनका 'मतलब' आता है जैसे महंगे होटल में खाने पर लगा 'टैक्स'! फिर आप जितना भी थ्योरी लेकर बैठे रहो—कि आदमी से दिल से जुड़ना चाहिए न कि जरूरत से!
वह आपको खत्म कर देते हैं! आपकी सोच, आपकी हंसी, आपकी जिंदगी! वह वैताल की तरह आप पर लटके हुए आपकी आत्मा को खाते रहेंगे! अपना मतलब सिद्ध करने के लिए अपना उल्टा-सीधा ज्ञान पढ़ाएंगे,
और आप सब करेंगे! उनके लिए आप बस एक साधन हैं, जिसे किसी भी तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है! आपके मुंह से खून निकल आए पर इनका मतलब खत्म नहीं होता!
हर गुजरते दिन में आप सोचेंगे कि कभी यह आदमी सुधर जाएगा, पर मजाल है कि वह आपको छोड़ दे!
सनद रहे—हर क्रूरता दिखाई नहीं देती है!
© मनीष के.
“From the Collection of Articles: 'Unpolished Opinions' ”
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