एक ) बच्चे मन के सच्चे
वह बड़े भया साहब है ! उनके दो बेटे है ! विवाहित है ! बड़े बेटे और बहू को लगा कि – मम्मी – पापा छोटे वाले को ज्यादा दे रहे है ! तो वह पुश्तैनी बड़े घर में ताला लगाकर मुंबई शिफ्ट हो गया ! पाँच वर्षीय बच्ची की पढाई के नाम पर ! छोटे वाले ने भी भया साहब की दुल्हिन माने अपनी अम्मा की गर्दन मरोड़ी – तो पुश्तैनी घर के ठीक सामने उसको एक नया घर बनवा के भया साहब ने दिया ! वह इस नए घर में ताला लगाकर नजदीकी शहर शिफ्ट हो गया अपने तीन साल के बेटे के पढ़ाई के नाम पर ! और जाते – जाते सुना के भी गया कि – हम पैसा भले कम कमा रहे हो पर पढ़ाएंगे हम भी कान्वेंट में ... हमरा लरिका केहू से कमजोर न मुती, सब कोई सुन ला ! खैर ... भया साहब अब ‘हाता’ पर रहते है ! और ग्राम पंचायत की टॉयलेट – वाशरूम रोज़मर्रा के लिए प्रयोग में लाते है ! सनद रहे – भया साहब खुद कही सरकारी मास्टर थे !
ग्राम पंचायत सदमे में थी ! अंग्रेजी मास्टर का लड़का ‘लालाइन’ भगा के वियाह कर लिहिस है ! ऐसे चलते रहा तो सब ऐसे ही करेंगे ! अंग्रेजी मास्टर ‘ हार्ट अटैक’ से बैकुंठवासी हो गए ! खैर .... नीला आसमान है और बाकी सब झूठ है ! या शायद उसके ऊपर बैठा ईश्वर सच है और बाकी सब कुछ झूठ है ! उसने तीन-तिकड़म करके पियार तो कर लिया है ! पर वह अब न निगलते बन रहा है ! और न थूकते ! ज़मीन – जायदाद , जाति – बिरादरी सब से बाहर ! न घर पर कोई समझने वाला है और जबसे अम्मा ने कहा – समझो तुमरे लिए हम मर गैईन ! तबसे उसके मुहँ में निवाला नहीं जा रहा है ! और ‘बाहर’ तो आख़िरी सच यही है की तुम नामर्द और कमज़ोर हो ! खैर बिना किसी तर्क के .... सारी जातियों में सबसे झूठी जाति ‘पुरुष‘ होती है ! चलो इस कहानी को इसी मोड़ पर रफा-दफा करते है !
- मनीष के.
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 29 अप्रैल 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
ReplyDeleteधन्यवाद आपका !
ReplyDeleteबढ़िया
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत बढ़िया।
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